रात भर चलती बस में दीदी को रगड़ रगड़ कर चोदा1 min read

Sagi behan ki chudai – Bus me didi ko choda sex story – Brother sister bus sex story: नमस्कार दोस्तों, मैं हूँ आपका राजेश उर्फ रविराज। आज फिर एक बिल्कुल सच्ची और गरमागरम कहानी लेकर आया हूँ। आप सबको पता ही है कि मैं शुरू से कितना बड़ा चुदक्कड़ हूँ और मेरी चुदाई की पहली गुरु मेरी अपनी सगी बड़ी बहन स्वाती दीदी ही थीं। उसी ने मुझे सिखाया था कि चूत में लंड कैसे डाला जाता है, कैसे मम्मे चूसे जाते हैं, कैसे औरत को पागल किया जाता है। मेरी दो सगी बहनें हैं और दोनों ही आग हैं। पहले दोनों हर रात मेरे कमरे में आती थीं और मैं बारी-बारी से दोनों की चूत मारता था। एक भी रात खाली नहीं जाती थी।

फिर दोनों की शादी हो गई। बड़े भैया की शादी को भी छह महीने हो चुके थे। उनकी बीवी यानी मेरी भाभी देखने में एकदम दीदी जैसी पटाखा थी, बड़े-बड़े दूध, पतली कमर, मटकती हुई गांड। उसे देखते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता था, लेकिन मैं कुछ कर नहीं पाता था। घर में अब कोई चूत नहीं थी। हर रात मैं चोरी-चोरी भैया-भाभी के कमरे के बाहर कान लगाकर उनकी चुदाई सुनता और मुठ मारकर सो जाता।

गर्मियों की छुट्टियाँ शुरू हुईं तो स्वाती दीदी कुछ दिन के लिए मायके आने वाली थीं। मैंने मम्मी से कहा कि मैं ही उन्हें लेने जाऊँगा। मम्मी ने हँसकर हाँ कर दी और दीदी को फोन पर बता भी दिया। मैं उसी दिन उनके ससुराल पहुँच गया। घर में सिर्फ दीदी और उनकी सासु माँ थीं। मुझे देखते ही दीदी की आँखें चमक उठीं। उन्होंने पहले से सारा सामान पैक कर रखा था। चाय पिलाई और बोलीं, चलो जल्दी निकलते हैं।

तभी सासु माँ बोलीं, “अरे अभी रवि आया है और तू इसे लेकर भागना चाहती है? पहले खाना खाओ, आराम करो, फिर जाना।” मैं मना करने लगा, लेकिन उन्होंने एक न सुनी और बाजार चली गईं सामान लाने। दरवाजा बंद होते ही दीदी मुझसे लिपट गईं। हम दोनों एकदम पागल हो गए। मैंने उनकी साड़ी का पल्लू खींचा, ब्लाउज के बटन खोले और बड़े-बड़े मम्मे बाहर निकाल लिए। दोनों निप्पल्स को मुँह में लेकर जोर-जोर से चूसने लगा। दीदी की साँसें तेज हो गईं, आह्ह्ह राजू… कितने दिन हो गए… मर गई थी तेरे लंड को याद करके… ह्ह्ह्ह्ह…

दीदी ने मेरा हाथ पकड़कर सीधे अपने बेडरूम में ले गईं और बेड पर धकेल दिया। मैंने उनकी साड़ी-पेटीकोट ऊपर उठाया तो देखा पैंटी नहीं थी। दीदी हँसकर बोलीं, “बुद्धू, मुझे पता था तू आ रहा है, इसीलिए तेरे स्वागत के लिए चूत खुली रखी है।” फिर उन्होंने मेरा हाथ अपनी चूत पर रख दिया। चूत एकदम गीली और गरम थी। मैंने दो उँगलियाँ अंदर घुसेड़ दीं और तेजी से अंदर-बाहर करने लगा। दीदी की कमर अपने आप ऊपर उठने लगी, आह्ह्ह्ह… ह्ह्ह्ह… राजू… जोर से… आज फाड़ दे मेरी चूत को… ऊईईई माँ…

मैं नीचे झुका और उनकी चूत पर जीभ फेरने लगा। चूत का सारा रस चाट गया। दीदी मेरे सिर को अपनी जाँघों में दबाए चिल्ला रही थीं, आह्ह्ह्ह चाट… पूरी खा जा… ओह्ह्ह्ह राजू… मैंने जीभ अंदर तक घुसाई और चूसते हुए उनकी गाँठ को दाँतों से हल्का काटा। दीदी का पूरा बदन काँप उठा, ऊओओह्ह्ह्ह… बस… मैं झड़ने वाली हूँ… और सच में पंद्रह-बीस सेकंड बाद उनकी चूत से गरम रस की फव्वारा छूट पड़ा। मैंने सारा रस पी लिया।

अब दीदी ने मेरी पैंट खोली और मेरा लंड बाहर निकाला। देखते ही पागल हो गईं, “रे मादरचोद कितना मोटा और लंबा हो गया है तेरा!” फिर पूरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगीं, ग्ग्ग्ग्ग्ग… गों गों गोग… गी गी गी… पूरा गले तक उतार लिया। मैंने उनके सिर को पकड़कर जोर-जोर से मुँह चोदा। दीदी की लार टपक रही थी। बस दस मिनट में मैं उनके मुँह में झड़ गया। दीदी ने एक बूंद भी बाहर नहीं गिरने दी, सारा माल निगल गईं।

अब मैंने उन्हें बेड पर लिटाया, पैर फैलाए और लंड एक झटके में चूत में पूरा घुसा दिया। दीदी की चीख निकल गई, आआआह्ह्ह्ह… हरामी… कितना बड़ा है… फाड़ दी आज तो… मैंने मम्मे मुँह में भरे और तेज-तेज धक्के मारने लगा। हर धक्के पर दीदी की चूत चूँ-चूँ कर रही थी। दस मिनट की जबरदस्त पेलाई के बाद मैंने उनकी चूत में सारा माल उड़ेल दिया। दीदी भी दो बार झड़ चुकी थीं। हम दोनों पसीने से तर थे। जल्दी से कपड़े ठीक किए क्योंकि सासु माँ कभी भी आ सकती थीं। दीदी की चूत से वीर्य टपक रहा था, वो हँसकर बोलीं, “अब बस में भी ऐसे ही चोदना मुझे पूरी रात।”

सासु माँ आईं, खाना खिलाया और हम रात की बस पकड़ने निकल गए। बस एकदम भरी हुई थी, लेकिन हम आखिरी लंबी सीट पर किसी तरह जगह बना ली। बस चली और लाइट्स बंद हो गईं। दीदी मेरे कंधे पर सिर रखकर बोलीं, “राजू, अब कोई डर नहीं, पूरी रात मेरी चूत तेरी है।” मैंने उनका पल्लू सरकाया और मम्मे दबाने लगा। दीदी ने मेरी पैंट की चेन खोली और लंड बाहर निकाल लिया। अँधेरे में झुककर पूरा मुँह में ले लिया, ग्ग्ग्ग्ग्ग… गों गों गोग… फिर से गले तक चूसने लगीं।

मैंने उनकी साड़ी-पेटीकोट ऊपर उठाया और दो उँगलियाँ चूत में डाल दीं। दीदी मुँह में लंड लिए सिसक रही थीं, ऊम्म्म्म… ह्ह्ह्ह… मैंने उन्हें गोदी में उठाया और लंड सीधा चूत में घुसा दिया। बस के झटकों के साथ-साथ मैं भी धक्के मारने लगा। दीदी दबी आवाज में चिल्ला रही थीं, आह्ह्ह्ह… राजू… जोर से… अपनी सगी दीदी को चोद… आह्ह्ह्ह्ह… ह्ह्ह्ह्ह… पूरा अंदर तक… ऊईईई मर गई…

फिर दीदी ऊपर चढ़ गईं और खुद उछलने लगीं। उनके मम्मे मेरे मुँह पर लग रहे थे, मैं चूसता जा रहा था। उसके बाद मैंने उन्हें सीट पर घुटने टिकवाए और पीछे से डॉगी स्टाइल में पेलने लगा। हर धक्के पर उनकी गांड थपथपा रही थी। पूरी रात हमने चार-पाँच बार चुदाई की। कभी गोदी में, कभी ऊपर बैठकर, कभी पीछे से। मैंने उनकी चूत में भी झड़ा, मुँह में भी झड़ा, मम्मों पर भी झड़ा। सुबह बस जब घर के पास पहुँची तो दीदी की चूत एकदम लाल और सूजी हुई थी, चलते समय लड़खड़ा रही थीं, लेकिन उनकी आँखों में पूरी तृप्ति थी।

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